बिंदी, अरे हां उसके माथे पर लगी थी, और नज़र उसके चेहरे पर आ बसी थी... मानो जैसे आसमान में खिला हो पूर्णिमा का चांद, या यूं कहें कि दीपावली पर जगमग सा था आसमान .. चांदनी भी मानो अब शर्माने लगी थी, तारों को सज़ा देख तुम्हारे माथे पर वो दूर जाने लगी थी ।। ©the_unsung_teller बिंदी #बिंदी #bindi