इक ख़्वाब की ख़ुश्बू में, हम रोज नये ख़्वाबों के ताने-बाने बुनते जाते हैं, हमें नहीं पता ये ख़्वाब कभी मुकम्मल होगें की नहीं, पर आज तक कभी भी किसी ने भी ख़्वाबों को देखने पर पहरा नहीं बैठाया हैं, इक ख़्वाब की ख़ुश्बू में, हम रोज इस उम्मीद में जीये जा रहे कि ये ख़्वाब किसी दिन तो मुकम्मल होगें।।।। #napowrimo का 18वाँ दिन है बल्कि कहें 18वीं रात और उस ख़्वाब की ख़ुशबू है, जिसमें हम जीते हैं। #ख़्वाबकीख़ुशबू #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi