आग सी लगी थी यूं दिल में हमारें, पर बुझाने को कोई परिंदा न था। बुझानी भी चाही हमने अपने दिल को उसके दिल से मिलाकर, पर उसकी गालिब़ निगाहों में हमारा हुस्न ही जिंदा न था।। #pagal#shayer# pooja negi#