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"तीन गुनहगार" ना जाने फिर क्यों एक दिन किस्मत ने

"तीन गुनहगार"

ना जाने फिर क्यों एक दिन
किस्मत ने खुरापाती करने की ठानी,
किसको पता था,
एक दिल से इश्क कर बैठेगी एक दिवानी,

मेरी नजरों का था गुनाह पहला,
गुनाह कुछ एसा कर डाला,
चलो देखने तक तो ठीक था,
यह ताकने का क्या मसला है लाला?

read full poem in caption .  "तीन गुनहगार"

संभाल के रखा दिल,
ऊबड़ खाबड़ रस्ते पे,
आँधियों से बचाया,
छुपा के रखा बस्ते में,

हम भी धडकन ना सुन सकें,
"तीन गुनहगार"

ना जाने फिर क्यों एक दिन
किस्मत ने खुरापाती करने की ठानी,
किसको पता था,
एक दिल से इश्क कर बैठेगी एक दिवानी,

मेरी नजरों का था गुनाह पहला,
गुनाह कुछ एसा कर डाला,
चलो देखने तक तो ठीक था,
यह ताकने का क्या मसला है लाला?

read full poem in caption .  "तीन गुनहगार"

संभाल के रखा दिल,
ऊबड़ खाबड़ रस्ते पे,
आँधियों से बचाया,
छुपा के रखा बस्ते में,

हम भी धडकन ना सुन सकें,
namitraturi9359

Namit Raturi

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