परब त्यौहार त सगरे मनेला धुम धाम से, हमरा गांवे त्यौहार मे बडी मजा आवेला। आवा पहिले सुना होलीया के सब बतवा, होलीया मे त बहरो वाला छुट्टी लेके आवेला।। होली के एक दिन पहिले सबके अबटन लागी, खाई पीही सब समत जरे के इंतजार करेला। तबे देवेन्द्र बाबा के संगे सब होलरी-होलरी बोली, अवजवा सुनते सब गोईठा,अबटन लेके भागेला।। समत जहां जरी, ओहिजा गंवुआ भर आई, जेकर जतना दम होलरी-होलरी चिलायेला। ओजवा सबके रिगावे वाला नामवा पुछाई, सभे एक दोसरा के मन भरी के रिगावेला।। होली के दिने सबके घरे पकवान बनल शुरू, भोर-भोरे सब आपन खाये-पीये के जोगाड खोजेला। भर मुहें रंग के पोताई संगे सबके कुर्ता फराई, गांव भर गली-गली हल्ला करी सब घुमेला।। दुपहरिया मे नहाई कपडा पहिन अबीर अब चढ़ल, तले गांव के मन्दिर मे गवनई के ताल ठोकाला। धीरे-धीरे गवनई मे सब आई,घरे-घरे गवाई , हमरा गांवे होली के गवनई मे बडी मजा आवेला।। -(सुशान्त श्रेष पाण्डेय) #गांवे के होली