उनके लिए ये साज सृंनगार करती हैं, और अपने मांग में भी सिन्दूर उनके नाम का ही भरती है। लेकिन टूट तो ये तब जाती हैं, जब इन्हें बेवज़ह झुकना पड़ता है। मंजिल तो उनकी खत्म हो जाती और रुकना इन्हें पड़ता हैं। -Shakshi soni रुकना पड़ता हैं Arun Sharma