Nojoto: Largest Storytelling Platform

जय श्री राम दूसरे अध्याय में आपने पढ़ा की किस तरह

जय श्री राम
दूसरे अध्याय में आपने पढ़ा की किस तरह से मिथिला नरेश राजा जनक जी ने अपनी पुत्री सीता के लिए स्वयंबर रचा था जिसमें भगवान राम ने स्वयंवर में भाग लेकर पिनाक धनुष को प्रत्यक्षा चढ़ाकर एक ही झटके में धनुष के दो टुकड़े कर दिए थे और फिर राजा जनक जी के शर्त के अनुसार माता सीता का विवाह प्रभु राम से संपन्न हो गया और फिर वह राजा जनक जी से आज्ञा लेकर अपने अयोध्या लौट गए अब आगे...

जब श्री राम प्रभु मां सीता और लक्ष्मण सहित अपने अयोध्या लौटे तो अयोध्या वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई और राजा दशरथ और तीनों माताओं का तो खुशी का कोई ठिकाना ना रहा बस इसी तरह से खुशी खुशी दिन बीतते चले गए
 लेकिन एक रोज अयोध्या में दुख का पहाड़ टूट पड़ा जब राजा दशरथ जी ने श्री राम जी को राजा बनाना चाहा तो अयोध्या वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई
 लेकिन माता  कैकई के दासी मंथरा को यह बात फूटी आंख ना सुहाया और मंथरा ने माता कैकेई के कानों में यह बात डाल दी की अगर राम का राजगद्दी मिल जाएगा तो फिर तुम्हारे पुत्र भरत का राजमहल में कोई मान नहीं होगा और तुम भी कौशल्या के आगे इस राजमहल में तुम्हारा भी मान घट जाएगा इसलिए तुम राजा दशरथ जी से वह तीन वचन मांग लो जो राजा दशरथ जी ने तुम्हें देने को कहा था यह बात सुनते ही माता कैकई के दिमाग घूम गया और वह कोप भवन में जा बैठी इधर राजा दशरथ जी सोचने लगे कि आखिर रानी कैकई को क्या कमी हो गई जो वह कोप भवन में जा बैठी हैं तब वह रानी कैकई का हाल समाचार पूछने कोप भवन में जाते हैं और कैकई से वार्तालाप करते हैं तब रानी कैकेई कहती हैं कि मैं आपसे वह तीन वचन मांगना चाहती हूं जो आपने दिए थे तब राजा दशरथ जी ने कहा अच्छा ठीक है मांगो मैं तुम्हें जरूर दूंगा तब रानी कैकेई ने राजा दशरथ जी से पहले वचन ले लिए कि अगर आप देना चाहते हो तो पहले अपने राम की सौगंध खाओ और राजा दशरथ जी ने राम की सौगंध खा ली तब रानी कैकई ने कहा की मेरे भरत को राजगद्दी मिले और राम को 14 वर्ष का वनवास मिले यह सुनते ही राजा दशरथ जमीन पर गिर पड़े और निस्तेज हो गए तब प्रभु राम को पता चला वह भी माता कैकेई के हाल-चाल लेने कोप भवन में जाते हैं तो देखते क्या है कि महाराज दशरथ जमीन पर पड़े हुए हैं और माता कैकेई सामने खड़ी है यह सब देख कर प्रभु राम पूछते हैं की मां ऐसा क्या हुआ जो पिताजी का यह हाल है तब रानी कैकेई ने यह कहा कि कुछ नहीं इन्होंने पहले कभी मुझे तीन वचन देने का वादा किया कि था सो मैंने मांग लिया तब प्रभु राम कहते हैं कि मां वो तीन वचन क्या है तब रानी कैकेई ने कहा कि मेरे पुत्र भरत को राजगद्दी और तुम्हें 14 वर्ष का वनवास तब श्री राम जी कहते हैं कि यह तो मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि मेरे भरत का राजतिलक होगा और वो राजा बनेगा और रही बात बनवास की तो है मां आपने तो मुझे जंगल का राज दे दिया और यह सब कह कर वह बनवास जाने को तैयारी करने लगे लेकिन तभी माता सीता आगे आई और कहां कि मैं भी आपके साथ चलूंगी तब प्रभु राम ने मां सीता को आज्ञा दे दी फिर लक्ष्मण जी भी आगे आएं और कहां कि जहां मेरे भैया राम होंगे और जहां मेरी भाभी मां होगी वही मैं भी वही रहूंगा और प्रभु राम मां सीता और लक्ष्मण जी सहित  14 वर्ष के वनवास की लिए चल पड़े...

रामायण की कहानियों में तीसरा अध्याय संपन्न ।

©Anit kumar #NojotoRamleela #जय_सियाराम
जय श्री राम
दूसरे अध्याय में आपने पढ़ा की किस तरह से मिथिला नरेश राजा जनक जी ने अपनी पुत्री सीता के लिए स्वयंबर रचा था जिसमें भगवान राम ने स्वयंवर में भाग लेकर पिनाक धनुष को प्रत्यक्षा चढ़ाकर एक ही झटके में धनुष के दो टुकड़े कर दिए थे और फिर राजा जनक जी के शर्त के अनुसार माता सीता का विवाह प्रभु राम से संपन्न हो गया और फिर वह राजा जनक जी से आज्ञा लेकर अपने अयोध्या लौट गए अब आगे...

जब श्री राम प्रभु मां सीता और लक्ष्मण सहित अपने अयोध्या लौटे तो अयोध्या वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई और राजा दशरथ और तीनों माताओं का तो खुशी का कोई ठिकाना ना रहा बस इसी तरह से खुशी खुशी दिन बीतते चले गए
 लेकिन एक रोज अयोध्या में दुख का पहाड़ टूट पड़ा जब राजा दशरथ जी ने श्री राम जी को राजा बनाना चाहा तो अयोध्या वासियों में खुशी की लहर दौड़ गई
 लेकिन माता  कैकई के दासी मंथरा को यह बात फूटी आंख ना सुहाया और मंथरा ने माता कैकेई के कानों में यह बात डाल दी की अगर राम का राजगद्दी मिल जाएगा तो फिर तुम्हारे पुत्र भरत का राजमहल में कोई मान नहीं होगा और तुम भी कौशल्या के आगे इस राजमहल में तुम्हारा भी मान घट जाएगा इसलिए तुम राजा दशरथ जी से वह तीन वचन मांग लो जो राजा दशरथ जी ने तुम्हें देने को कहा था यह बात सुनते ही माता कैकई के दिमाग घूम गया और वह कोप भवन में जा बैठी इधर राजा दशरथ जी सोचने लगे कि आखिर रानी कैकई को क्या कमी हो गई जो वह कोप भवन में जा बैठी हैं तब वह रानी कैकई का हाल समाचार पूछने कोप भवन में जाते हैं और कैकई से वार्तालाप करते हैं तब रानी कैकेई कहती हैं कि मैं आपसे वह तीन वचन मांगना चाहती हूं जो आपने दिए थे तब राजा दशरथ जी ने कहा अच्छा ठीक है मांगो मैं तुम्हें जरूर दूंगा तब रानी कैकेई ने राजा दशरथ जी से पहले वचन ले लिए कि अगर आप देना चाहते हो तो पहले अपने राम की सौगंध खाओ और राजा दशरथ जी ने राम की सौगंध खा ली तब रानी कैकई ने कहा की मेरे भरत को राजगद्दी मिले और राम को 14 वर्ष का वनवास मिले यह सुनते ही राजा दशरथ जमीन पर गिर पड़े और निस्तेज हो गए तब प्रभु राम को पता चला वह भी माता कैकेई के हाल-चाल लेने कोप भवन में जाते हैं तो देखते क्या है कि महाराज दशरथ जमीन पर पड़े हुए हैं और माता कैकेई सामने खड़ी है यह सब देख कर प्रभु राम पूछते हैं की मां ऐसा क्या हुआ जो पिताजी का यह हाल है तब रानी कैकेई ने यह कहा कि कुछ नहीं इन्होंने पहले कभी मुझे तीन वचन देने का वादा किया कि था सो मैंने मांग लिया तब प्रभु राम कहते हैं कि मां वो तीन वचन क्या है तब रानी कैकेई ने कहा कि मेरे पुत्र भरत को राजगद्दी और तुम्हें 14 वर्ष का वनवास तब श्री राम जी कहते हैं कि यह तो मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है कि मेरे भरत का राजतिलक होगा और वो राजा बनेगा और रही बात बनवास की तो है मां आपने तो मुझे जंगल का राज दे दिया और यह सब कह कर वह बनवास जाने को तैयारी करने लगे लेकिन तभी माता सीता आगे आई और कहां कि मैं भी आपके साथ चलूंगी तब प्रभु राम ने मां सीता को आज्ञा दे दी फिर लक्ष्मण जी भी आगे आएं और कहां कि जहां मेरे भैया राम होंगे और जहां मेरी भाभी मां होगी वही मैं भी वही रहूंगा और प्रभु राम मां सीता और लक्ष्मण जी सहित  14 वर्ष के वनवास की लिए चल पड़े...

रामायण की कहानियों में तीसरा अध्याय संपन्न ।

©Anit kumar #NojotoRamleela #जय_सियाराम