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जिंदगी में हर कदम पर यहां एक शतरंज की बिसात बिछी

जिंदगी में हर कदम पर यहां 
एक शतरंज की बिसात बिछी है।
जरा संभल के चल ऐ जिंदगी 
इसी में शय इसी में मात छुपी है। जरा सँभल कर चल ऐ जिंदगी, जाने कब खुशियाँ तमाम हो जाए ।
जाने कब मिले सुबह तुझे यहाँ, जाने कब आखिरी शाम हो जाए।।
:- अनिल प्रसाद सिन्हा 

👉आइए आज लिखते हैं कुछ ज़िन्दगी के पहलुओं को, ....

कृपया कोलाब करके Done✔️ कीजिए और अपने दोस्तों को भी कोलाब करने के लिए आमंत्रित कीजिए :-
जिंदगी में हर कदम पर यहां 
एक शतरंज की बिसात बिछी है।
जरा संभल के चल ऐ जिंदगी 
इसी में शय इसी में मात छुपी है। जरा सँभल कर चल ऐ जिंदगी, जाने कब खुशियाँ तमाम हो जाए ।
जाने कब मिले सुबह तुझे यहाँ, जाने कब आखिरी शाम हो जाए।।
:- अनिल प्रसाद सिन्हा 

👉आइए आज लिखते हैं कुछ ज़िन्दगी के पहलुओं को, ....

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