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ओस बनके बरस जाओ, नमी तो हो ही जाएगी। दिन भर का धुआ

ओस बनके बरस जाओ,
नमी तो हो ही जाएगी।
दिन भर का धुआं और
पत्तों पर जो धूल जमी है
कम हो ही जाएगी।
जबसे इश्क़ हुआ है?
बहके बहके से रहते हैं।
एहसासों के बसन्त भी-
महके महके रहते हैं।
दिल की तराई में,
बिछ गई हरियाली।
इसी से खुशहाली आएगी। ♥️ Challenge-602 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

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ओस बनके बरस जाओ,
नमी तो हो ही जाएगी।
दिन भर का धुआं और
पत्तों पर जो धूल जमी है
कम हो ही जाएगी।
जबसे इश्क़ हुआ है?
बहके बहके से रहते हैं।
एहसासों के बसन्त भी-
महके महके रहते हैं।
दिल की तराई में,
बिछ गई हरियाली।
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