जहाँ गंगा आरती और अजा़न से सुबह होती है जहाँ गंगा के पानी से वजू करके नमाज पड़ी जाती है वो है मेरा काशी जो बनारस भी कही जाती है जहाँ गंगा यमुना तहजी़ब कि मिसाल देखी जाती है कही कचौड़ी गली तो कही दालमण्डी मिल जाती है खो जाये जहाँ आकर ऐसी जाने कितनी गली मिल जाती है जहाँ पान भी बड़ी मोहब्बत से खिलायी जाती है जहाँ एकता कि एक मिसाल दी जाती है जहाँ मृत को भी शान्ति मिल जाती है वो है मेरा काशी जो घाटो कि नगरी भी कही जाती है जहाँ सुबह खूशनुमा तो शाम हसी हो जाती है जहाँ आकर हर शख्स की आत्मॉ भी धन्य हो जाती है जहाँ एक बार गंगा स्नान करके पाप भी धूल जाती है जो माँ गंगा और भोलेनाथ कि नगरी भी कही जाती है जहाँ बी.एच.यू की शिक्षा विश्व मे जानी जाती है जहाँ संस्कृत और संस्कार की भी शिक्षा दी जाती है जो प्रेमचन्द और कबीर की नगरी भी कही जाती है कितना पवित्र पावन है ये बनारस शहर अली देखकर इन घाट लहराे को हर गम दूर हो जाती है मेरा शहर!!!