White एक खा़मोशी सी छायी है, न जाने किस कदर ग़म है, बैचेन है अपनों से दुर होकर, रिश्तों में न जाने कया छुटा है, पास रखने की आस में दुख़ है कयूँ, सब कुछ अपना गंवा के थक चुकें है, बिना किसी सवाल के जवाब दे रहे हैं, अपना ही कयूँ रहता नहीं पास है.... ©Hiren. B. Brahmbhatt #गम़ #जिंदगी #अपनेरिश्ते #बैचैनी