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रात का मुसाफ़िर अब क्या मैं बताऊं कि मेरा हाल क्या

रात का मुसाफ़िर अब क्या मैं बताऊं कि मेरा हाल क्या हो गया है,
रातों का मुसाफ़िर हूं किसी रात में रुक सा गया है।
सुबह कब होगी पता नहीं पर यह रात बड़ी हसीन लगती है,
यूंह सुनी और ख़ामोश सी राहों में भटकना अच्छा जो लगने लगा है।

ना कोई हमदर्द था और शायद ही ना कोई बन पाएगा,
ना किसी से कोई लगाव है ना किसी से कोई गिला रहा पाएगा।
अजनबी से बने थे हम दोस्त और दोस्ती से शुरु हुआ था प्यार का सफ़र,
रात का मुसाफ़िर अब क्या मैं बताऊं कि मेरा हाल क्या हो गया है,
रातों का मुसाफ़िर हूं किसी रात में रुक सा गया है।
सुबह कब होगी पता नहीं पर यह रात बड़ी हसीन लगती है,
यूंह सुनी और ख़ामोश सी राहों में भटकना अच्छा जो लगने लगा है।

ना कोई हमदर्द था और शायद ही ना कोई बन पाएगा,
ना किसी से कोई लगाव है ना किसी से कोई गिला रहा पाएगा।
अजनबी से बने थे हम दोस्त और दोस्ती से शुरु हुआ था प्यार का सफ़र,

अब क्या मैं बताऊं कि मेरा हाल क्या हो गया है, रातों का मुसाफ़िर हूं किसी रात में रुक सा गया है। सुबह कब होगी पता नहीं पर यह रात बड़ी हसीन लगती है, यूंह सुनी और ख़ामोश सी राहों में भटकना अच्छा जो लगने लगा है। ना कोई हमदर्द था और शायद ही ना कोई बन पाएगा, ना किसी से कोई लगाव है ना किसी से कोई गिला रहा पाएगा। अजनबी से बने थे हम दोस्त और दोस्ती से शुरु हुआ था प्यार का सफ़र, #रातकाअफ़साना #बातें_दिल_की #बातें_अनकही #बातें_मेरी_तुम्हारी #रातें_और_यादें #raatonkibaatein #अफसाना_ए_ज़िन्दगी #ज़िंदा_रहेंगे_तेरी_यादों_में