कि मैं तेरा तलबगार हूँ? तलबगार भी एक मुद्दत से हूँ। तुम्हें एहसास भी हुआ है कभी.. कि तुम्हारी इन आँखों में अक्सर कोई आता है और डूब जाता है.. कि जब तुम्हारी नज़र से मेरी नज़र टकरा जाती है.. सारे मैखाने की बेखुदी मुझपे छा जाती है। कि जब मेरी गली से तुम गुजरते हो .. मेरे घर की खिड़की खु़द-ब-खुद खुल जाती है। कि सारे शहर में शाम हो जाती है .. अपनी जुल्फों को यूं खुला न छोडा करो। कि तुम नहीं जानते हो "शील" के दिल का हाल.. गर रो दिये तो इक समन्दर बना दें, गर बाहों में आ गए तो ज़िन्दगी जन्नत बना दें।। #NojotoQuote