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नादाँ दिल समझता नहीं, अपना नहीं कोई इस जहान में..

 नादाँ दिल समझता नहीं,
अपना नहीं कोई इस जहान में..!

धरा पे भरा है ज़ुल्म का सागर,
पहुँच सकेगा न सुख के आसमान में..!

ज़िन्दगी का सफर रहा तन्हा सदा ही,
भीड़ लगेगी केवल श्मशान में..!

नफ़ा की वफ़ा मिली किसी किसी को,
अधिकतर रहे लोग नुकसान में..!

जैसा होगा कर्म मिलेगा फल वैसा ही,
लिखा हुआ है सदियों से वेद पुराण में..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #sadak #nadandil