कुछ खामोश सी गुजर रही थी जिंदगी फिर किसी का बसेरा हुआ कुछ हलचल हुई और सवेरा हुआ। कुछ सपने दरकिनार दरिया पर थे! सपने साकार हो जाए, शायद रब को ए मंजूर न था! फिर देख हलचल उसने- खामोशी से खामोश कर दिया हमें। Poet & Writter: ©Raushan Shyam Nirala feeling pain Anjali