तुम मुझे इल्ज़ाम देना, मैं तुम्हें ऐतबार दूंगा तुम मुझे एहसान देना, मैं तुम्हें अहसास दूंगा तुम कभी जब थक के बैठो, बाहों में आराम दूंगा। तुम मुझे मगरूर कहना, मैं तुम्हें एक हूर कहूंगा तुम मुझे झूठा बताना, मैं तुम्हें सच्चा कहूंगा गर पेशानी हो परेशां, दोस्त हूं सलाह दूंगा। पूरी कविता नीचे विवरण में पढ़ें... कविता पढ़ें और आनंद लें... तुम मुझे इल्ज़ाम देना, मैं तुम्हें ऐतबार दूंगा तुम मुझे एहसान देना, मैं तुम्हें अहसास दूंगा तुम कभी जब थक के बैठो, बाहों में आराम दूंगा। तुम मुझे मगरूर कहना,