अब हंसना मना है रोना शुरू करो,, बंजर हो गई है है मोहब्बत की जमीं बीज नफ़रत के बोना शुरू करो,, जो मिला था हमें विरासत में नसीब से,लड़ झगड के आपस में खोना शुरू करो, संभल जाओ अभी वक़्त है,माला के मोतियों को तोड़ो मत पिरोना शुरू करो, मजहब में उलझ के आग मत जलाओ ,प्रेमके आंसुओं से शोलो को भिगोना शुरू करो,, मोहब्बत में जिओ,,