वो बाँटते गए हम बटते गए कभी जात पर कभी धर्म पर वो तोड़ते गए हम टूटते गए कभी मंदिर पर कभी मस्जिद पर वो चेहरे दर चेहरे बदलते गए हम धोखे दर धोखे खाते गए वो अपनी पूंजी दर पूंजी बढ़ाते गए हम खुद पर कर्ज दर कर्ज बढ़ाते गए queots