लोगों के चेहरे क्यों में पहचान नहीं पाता हूं, खुशियों का झोला लिए निकलता हूं, लोगों से मिले ग़म का तोहफा ले आता हूं। मासूम से नकाब के पीछे का चेहरा नजर तो आता नहीं कभी किसी का, खुशी खुशी जाता हूं और हर बार धोखा खाता हूं। अब तो लम्हे इस कश्मकश में बीतते है, कब कौन बेनकाब हो जाए क्या पता, हकीकत से वाकिफ क्यूं नहीं मैं किसी के हो पाता हूं, लोग शहद कानों में मेरे भरते है, कमर पे खंजर लिए फिरते है। नादान शायद मैं ही सब लूटा बैठता हूं मासूम से नकाब के पीछे का चेहरा नजर तो आता नहीं किसी का, खुशी खुशी जाता हूं और हर बार धोखा खाता हूं ©Anant Om अपनों से ही धोखा😢 #feelings #SAD #Broken #Dhoka