White वो शख्सियत कुछ और थी, ये शख्सियत कुछ और है। कुछ खास है ख़ूर्शीद मेरा, खिलाफत की वजह कुछ और है। मेरे ख़ियाबां में पुष्प नहीं, ये ख्याले खुशबू कुछ और है । है ख़िज़ां के मौसम में भी ख़ज़ाना, तनहा दर्द-ऐ-क़ल्ब की सौगात कुछ और है। वो थी क़लम क़ौल से भरी, अब उसकी लेखनी धरती आकाश के छोर है। आपका अपना दोस्त तनहा शायर हूँ-यश , ©Tanha Shayar hu Yash #good_night #tanhashayarhu #tanhashayri #tanhakishayri #tanhapoem