यहाँ पत्थर से पुतलो सा, कोई भी खाश न होगा उसे मेरी मोहब्बत का , कभी अहसास न होगा उसे डर है कि दुनिया में, कहीं मैं फेल हो जाऊँ मेरा वादा है अब तुमसे, कहीं बो पास न होगा ........कवि लोकेश द्वीप.... अहसास न होगा अहसास न होगा