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उसके इख़्तियार में है सब, वो चाहें तो प्यार करे या

उसके इख़्तियार में है सब,
वो चाहें तो प्यार करे या सताए हमें।

सौंप दी है जिंदगी की पतंग
उसके हाथों में,
वो जिस तरह से चाहे उड़ाए हमें।

इश्क़ करना अगर जुर्म है
तो गुनाहगार हूँ मैं,
ख़ुदा से बख्शीश की दुआ मांगे वो
या सज़ा दिलाये हमें।

दरख़्वास्त है मेरी की मिलें कभी,
देखें रूबरू वो मिले
या ख्वाबों में ही बुलाये हमें।

उसके इख़्तियार में है सब,
वो चाहें तो प्यार करे या सताए हमें।

~Hilal #Patang Ki dor
उसके इख़्तियार में है सब,
वो चाहें तो प्यार करे या सताए हमें।

सौंप दी है जिंदगी की पतंग
उसके हाथों में,
वो जिस तरह से चाहे उड़ाए हमें।

इश्क़ करना अगर जुर्म है
तो गुनाहगार हूँ मैं,
ख़ुदा से बख्शीश की दुआ मांगे वो
या सज़ा दिलाये हमें।

दरख़्वास्त है मेरी की मिलें कभी,
देखें रूबरू वो मिले
या ख्वाबों में ही बुलाये हमें।

उसके इख़्तियार में है सब,
वो चाहें तो प्यार करे या सताए हमें।

~Hilal #Patang Ki dor