आंसुओं को गालों से उतरते देखा हैं उसका करीब आ कर गुजरते देखा हैं फ़िरदौस तुम लड़की तो बहुत अच्छी मगर ऐसी अच्छाई को बदलते देखा हैं बादल को मैंने जब करीब से चाहा जब जमीं के लिए उसे मैंने तरसते देखा हैं शहजादी गुमान ना कर अपने हुस्न पर ऐसे हुस्न को बुढ़ापे में बिखरता देखा हैं दुनियां इक घर तो इंसान यहां के वासी मौत के वक़्त सब को मैंने छोड़ते देखा हैं कोई चीज़ नहीं जिसका अंत नहीं यहां वक़्त की मार पर सबकुछ टूटते देखा हैं @maddyishq🍁 khayal..🍁 #maddyishq आंसुओं को गालों से उतरते देखा हैं उसका करीब आ कर गुजरते देखा हैं