मिट्टी में रहना क्यूं पसंद नहीं अब ? बचपन बीता मिट्टी में, यादें कितनी मिट्टी में, घर बनाया मिट्टी से गाड़ियां सजाई मिट्टी से, नंगे पैर दौड़े मिट्टी में, जिंदगी बीती मिट्टी में, खुद को जाना मिट्टी से, क्या हूं मै इस मिट्टी से, क्यू शहरों में भागते है , देखकर इस मिट्टी को, फर्श , पत्थर की रास आने लगी, क्यूं भूले है हम इस मिट्टी को, ये जो जिस्म है ये भी तो मिट्टी से है बना, आखिर में इसको मिट्टी से ही है मिलना। तो क्यूं मिट्टी में रहना पसंद नहीं अब ? क्यूं मिट्टी देखते ही भाव बदल जाते है अब? मिट्टी में रहना क्यूं पसंद नहीं अब ? बचपन बीता मिट्टी में, यादें कितनी इस मिट्टी में, घर बनाया मिट्टी से गाड़ियां सजाई मिट्टी से,