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अब तो मोहब्बत लिखने में भी तुम्हारी उंगलियां कांप

अब तो मोहब्बत लिखने में भी तुम्हारी उंगलियां 
कांपेंगी
बात जब भी वफा की होगी नजरें तुम्हारी हमें ही 
ताकेंगी

शायर आयुष कुमार गौतम तुम्हारी उंगलियां कांपेंगी
अब तो मोहब्बत लिखने में भी तुम्हारी उंगलियां 
कांपेंगी
बात जब भी वफा की होगी नजरें तुम्हारी हमें ही 
ताकेंगी

शायर आयुष कुमार गौतम तुम्हारी उंगलियां कांपेंगी