पूछते वो क्यूं मैं लिखता हूं ऐसा, जैसे कोई जंग का हो रहा हो ऐलान, सच पूछो तो कलम मेरी दिव्यास्त्र समान, कंठ मेरा अर्जुन का गांडीव समान, जिससे निकलते rap के बाण, भुजाएँ और टांगे मेरी गदा समान, जिनसे बजाता मैं drums पर ताल, और साथ में एक कठोर जिंदगी, जिसमे पल पल जीने के लिए हो संघर्ष, उसमें अपनी कलाओं से जलाए रखूं अपने जुनून और फितूर की मशाल ©Akhil Kael #Colors of a Warrior