इए तो तरकीब है हमें बरगलाने की वैसे पूरा चेहरा ढक लिया है | फिर क्या जरूरत है बस आंखें दिखाने की ?? यू कैसे दूर हट जाए , बड़ी मूददत से इजाजत मिली है पास आने की || आज की महफ़िल में निगाहें उन पर टिकी है क्या अदा है इए आंखों से मुस्कराने की ? मुझे धीरे धीरे अहसास हो रहा है अरे् इए तो साजिश है दिल पर वार करने की ?? ख़ुदा तो नहीं देखा है मैंने मगर आज कोशिश पूरी है अपने खुदा को जानने की|| I don't know for what??