Nojoto: Largest Storytelling Platform

हमारे समाज का नियम ही ये है, एक बार बेटी डोली में

हमारे समाज का नियम ही ये है, एक बार बेटी डोली में विदा हुयी, तो फिर वो बस मेहमान ही होती है, घर की। फिर कोई चाहे कितना ही क्यों ना कह ले, कि ये घर आज भी उसका है ? सच तो ये है, कि अब वो कभी भी, यूँ ही अपने उस घर, जिसे मायका कहते हैं, नही आ सकती…!! हजारों समस्याओं और परेशानी आने पर
भी उसी को हल करना है हंसते हुए, गम छुपाते हुए
क्या यह तपस्या से कम नहीं है ?
अनजान जगह को सुधार कर अच्छा बनाने का काम करनमैं डोली में नहीं, अर्थी में जा रही हूँ।

©Anita Gupta ki story
  #detiya