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खामोशी की आवाज (Khamoshi Ki Awaaz) - The Voice of

खामोशी की आवाज (Khamoshi Ki Awaaz) - The Voice of Silenc

अहंकारी राजा विक्रमादित्य को लगता था कि वो दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति है। एक दिन, जंगल में भटकते हुए, उसे एक ऋषि का कुटीर दिखा। राजा ने ऋषि से ज्ञान के बारे में पूछा। ऋषि कुछ नहीं बोले, बस मुस्कुराए। राजा को लगा वे उनका अपमान कर रहे हैं। क्रोध में, राजा ने ऋषि से सवालों की बौछार कर दी। पर ऋषि चुप रहे। हार मानकर राजा जाने लगा। जाते समय, ऋषि ने धीरे से कहा, "सबसे ज्यादा ज्ञान उसी को होता है जो खामोशी की भाषा समझता है।" राजा रुक गया। उसे एहसास हुआ कि ऋषि उसे शांत रहकर सुनना सिखा रहे थे।

जीवन सार: कभी-कभी सबसे ज्यादा सीख लेना खामोशी में होता है। दूसरों को सुनना और खुद के भीतर झांकना भी ज्ञान प्राप्त करने का एक जरिया है।
kdf

©S.Deka
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