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“#एक_साल_के_खत्म_होने_और_नये_साल_के_आने में एक मुस

“#एक_साल_के_खत्म_होने_और_नये_साल_के_आने में एक मुसलमान के लिए ख़ुशी का पैगाम नहीं होता...”
ख़ुशी की सौगात नहीं होती बल्कि____
एहतेसाब की दावत होती है, #मुहासिबे_नफ्स_का_पैगाम_होता_है ..!
इसमें इस बात का इन्सान को एक सबक मिलता है कि वह अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोचे कि, 
वह कहाँ है____???
क्या कर रहा है____???
और क्या करना चाहिए था_____???
यह महज़ एक साल का जाना और दूसरे साल का आना नहीं है, बल्की हमारी ज़िन्दगी से एक साल कम हुआ है और हम #मौत_और_आखिरत_की_ज़िन्दगी_से एक साल क़रीब हुए हैं..!
ऐसे ही एक दिन आएगा कि, हमारी ज़िन्दगी की आखिरी घण्टी बजेगी और हम हमेशा के लिए इस दुनिया से चले जायेंगे..!
#जी_हाँ 
यह दुनियां दारे-फानी (फना होने वाली) है, पानी का बुलबुला है, हमारी ज़िन्दगी थोड़ी सी है और यह रोज़ाना बर्फ के जैसे पिघाल रही है... 
#अक़लमन्द_वही_है___
जो अपने नफ्स का मुहासिबा करता है, और कल क़यामत के दिन की तैयारी शुरू कर देता है और...
#बेवाकूफ_वह_है____
जो अपनी ख्वाहिशात के पीछे लगा रहता है, और अल्लाह से उम्मीदें बांधे रहता है...!!
“#एक_साल_के_खत्म_होने_और_नये_साल_के_आने में एक मुसलमान के लिए ख़ुशी का पैगाम नहीं होता...”
ख़ुशी की सौगात नहीं होती बल्कि____
एहतेसाब की दावत होती है, #मुहासिबे_नफ्स_का_पैगाम_होता_है ..!
इसमें इस बात का इन्सान को एक सबक मिलता है कि वह अपनी ज़िन्दगी के बारे में सोचे कि, 
वह कहाँ है____???
क्या कर रहा है____???
और क्या करना चाहिए था_____???
यह महज़ एक साल का जाना और दूसरे साल का आना नहीं है, बल्की हमारी ज़िन्दगी से एक साल कम हुआ है और हम #मौत_और_आखिरत_की_ज़िन्दगी_से एक साल क़रीब हुए हैं..!
ऐसे ही एक दिन आएगा कि, हमारी ज़िन्दगी की आखिरी घण्टी बजेगी और हम हमेशा के लिए इस दुनिया से चले जायेंगे..!
#जी_हाँ 
यह दुनियां दारे-फानी (फना होने वाली) है, पानी का बुलबुला है, हमारी ज़िन्दगी थोड़ी सी है और यह रोज़ाना बर्फ के जैसे पिघाल रही है... 
#अक़लमन्द_वही_है___
जो अपने नफ्स का मुहासिबा करता है, और कल क़यामत के दिन की तैयारी शुरू कर देता है और...
#बेवाकूफ_वह_है____
जो अपनी ख्वाहिशात के पीछे लगा रहता है, और अल्लाह से उम्मीदें बांधे रहता है...!!
alam1584207230831

Mahboob Alam

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