जो जाहिर हो जाए वह दर्द कैसा जो दर्द ही ना समझे वह हम दर्द कैसा सपना वह देखो जो पूरा हो जाए बेफिजूल के सपने देखने से क्या फायदा मन में हजार पाप हो मंदिर मस्जिद जाने से क्या फायदा दर पर आए हुए फकीर को खाली हाथ लौटा दिया यह अमीर बन के क्या फायदा जो जाहिर हो जाए वह दर्द कैसा जो दर्द ना समझे वह हम दर्द कैसा ©Vicky B k दो लाइन जिंदगी के