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भौतिक हो या अभौतिक हो, रसहीन करे अमिझीन करे । अपरा

भौतिक हो या अभौतिक हो,
रसहीन करे अमिझीन करे ।
अपरा से परा की अजर थाह,
हृदयन् दीप्ति की यही चाह ।।
बस धरा डोर कोई दे ज्ञानी,
विरहाग्नि अश्रु बहता पानी ।
आधारन उर निरधार बहे,
मनु प्रीत परम की तान गहे ।। "अपरा से परा"
एक अध्यात्म रस से भीनी कविता..

#essentiallydeep #oneness_of_souls #supremesoul #lovequotes #enlightenment #knowledge #truth #alokstates 

deepti tuli Rajni Kheterpal Beena  RKap
भौतिक हो या अभौतिक हो,
रसहीन करे अमिझीन करे ।
अपरा से परा की अजर थाह,
हृदयन् दीप्ति की यही चाह ।।
बस धरा डोर कोई दे ज्ञानी,
विरहाग्नि अश्रु बहता पानी ।
आधारन उर निरधार बहे,
मनु प्रीत परम की तान गहे ।। "अपरा से परा"
एक अध्यात्म रस से भीनी कविता..

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deepti tuli Rajni Kheterpal Beena  RKap