धुआं सा उठे है, जिस्म के हर कहीं से, बादलों से कह दो बरसता क्यों नहीं ऐ | बुझेगा धुंआ ए जब होगा हमारा मिलन सही से, वरना बादलों का क्या ऐ तो गरज के निकल जाएंगे कहीं से|| ©Shailendra CK Pal धुआं सा उठा है जिस्म के हर कहीं से #CKS