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गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उत

गीत 

"बोल कबीरा”

जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा 
बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा

 चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो                 
  सुख-दुःख का संगम है जीवन, धीरे-धीरे रोज बढ़ो 
 कुछ ख्वाहिश दफनाते चलना, कुछ सपने बुनते जाना        
 फूलों की चाहत हो लेकिन, काँटों को चुनते जाना
  कल क्या होगा किसको पता है, किसने जाना है   
 आखिर कल की चिंता आज पे भारी, किसने माना है  
 आखिर काली रजनी-सा जीवन में,कब? घोर अंधेरा छाएगा

खुशियों के इक-इक पल को तुम, खोज-खोज के हार गए 
अपने हाथों ही पैरो पे ख़ुद, रोज कुल्हाड़ी मार गए 
जितना खोते हैं जीवन में, उससे ज्यादा मिल जाता 
जैसा बोते है मधुवन में, वैसा ही तो मिल पाता.
 घूम-घूम के लोट-लौट के, कर्म हमारे ही आते 
और इन्ही का लेखा जीवन, वेद शास्त्र भी बतलाते 
काँटे बोकर कौन भला फिर, वापस फूलों को पाएगा

लड़ जाना हालातों से, बस, धीरज हिम्मत से डटकर 
डर लगता हो साँस भरो बस, साहस पौरूष से उठकर 
अपना काम करो सब प्यारे, घबराना अब ठीक नहीं 
मिट्टी से ऊपर उठकर भी, इतराना अब ठीक नहीं 
आज मगन हो चाहे जितना, झोली अपनी भर लेना 
शायद कल फिर मिले कभी ना, हँसते गाते जी लेना 
पहले पन्नो में शुरुआती, नाम तुम्हारा लिख जाएगा

अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, बुन्देलखण्ड

©ANIL KUMAR
  गीत 

"बोल कबीरा”

जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा 
बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा

 चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो
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ANIL KUMAR

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गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो #कविता #geet #sangeet #anilkumar #Geetkaar #Nishchhal #bolkabeera #bolkabira

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