बातें दिल की क्या करें? औरों की बातों से खुद को घायल कर लेते है। गुनाह कोई नहीं फिर भी अपनेआप को सूली चढ़ा देते है। दूसरों को पूरा खयाल रखते है। अपने दिल को ही दुर्का देते है। कितना अजीब है, जब कोई नहीं पूछता तो दिल को ही दुखड़ा सुना देते है। हर बार दिल से वादा कर, तोड़ देते है। क्या करें हम अपना, क्यों खुद को तकलीफ़ देते है। अब तो दिलभी आवाज नहीं देता। पुकार पुकार कर बेहाल हो रहते है.... ©Ramnik #दिल_की_बात#दिल_की_बातें