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आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से सीमा पर त

आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से
सीमा पर तो रण करलेंगे निपटें कैसे धोखों से
कौन कहे इन हैवानों की करतूतें कब होंगी कम
बच्चा बच्चा चीख रहा है और सभी की आँख है नम
जुबां जुबां बोले फिर अब तो इन्कलाब की बोलियाँ
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

शरहद के रखवाले कीमत देशद्रोह की चुका रहे
कुछ जयचंद घरों में बैठे शीश देश का झुका रहे
अपनी धरती अपना आंगन हमें जान से प्यारा है
कैसे बंट जाने दें इसको ये कश्मीर हमारा है
घर घर छुपी हुई है इन पत्थरबाजों की टोलियाँ
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

सत्ता की चाहत ने इनको गिरा दिया है इतना क्यों
लालच में कर बैठे देखो अपनी माँ का सौदा क्यों
अपने वीर जवानों के साहस पर इनको शंका है
लेकिन दुनियां मान चुकी अपनी सेना का डंका है
दुश्मन तो दुश्मन अपने भी दाग रहे हैं गोलियां
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

दुनियाँ भी पहचान चुकी आतंक किसी का सगा नहीं
बचा नहीं कोना ऐसा अब जिसको इसने रंगा नहीं
फिर भी कुछ सत्ता के लोभी गले इन्हें ही लगा रहे
कुछ को भटके हुए किसी को मासूमों सा बता रहे
खण्डित हुई अजान छीन ली इसने चन्दन रोलियां
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

धर्म युद्ध में वीर सैनिकों तनिक न घबरा जाना तुम
घर में भी कुछ छुपे भेड़िये इनको सबक सिखाना तुम
माँ को तुम पर गर्व तू ही तो अब अपना अभिमान है
शान तिरंगा है भारत का वीर देश की जान है
वीर सपूतों से भारत की भरी हुई हैं झोलियाँ
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ 
                         ~ मनोज कुमार "मंजू"
                             मैनपुरी, उत्तर प्रदेश #manojkumarmanju
#manju
#hindipoems
आज देश महफूज कहाँ है अपने ही गद्दारों से
सीमा पर तो रण करलेंगे निपटें कैसे धोखों से
कौन कहे इन हैवानों की करतूतें कब होंगी कम
बच्चा बच्चा चीख रहा है और सभी की आँख है नम
जुबां जुबां बोले फिर अब तो इन्कलाब की बोलियाँ
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

शरहद के रखवाले कीमत देशद्रोह की चुका रहे
कुछ जयचंद घरों में बैठे शीश देश का झुका रहे
अपनी धरती अपना आंगन हमें जान से प्यारा है
कैसे बंट जाने दें इसको ये कश्मीर हमारा है
घर घर छुपी हुई है इन पत्थरबाजों की टोलियाँ
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

सत्ता की चाहत ने इनको गिरा दिया है इतना क्यों
लालच में कर बैठे देखो अपनी माँ का सौदा क्यों
अपने वीर जवानों के साहस पर इनको शंका है
लेकिन दुनियां मान चुकी अपनी सेना का डंका है
दुश्मन तो दुश्मन अपने भी दाग रहे हैं गोलियां
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

दुनियाँ भी पहचान चुकी आतंक किसी का सगा नहीं
बचा नहीं कोना ऐसा अब जिसको इसने रंगा नहीं
फिर भी कुछ सत्ता के लोभी गले इन्हें ही लगा रहे
कुछ को भटके हुए किसी को मासूमों सा बता रहे
खण्डित हुई अजान छीन ली इसने चन्दन रोलियां
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ

धर्म युद्ध में वीर सैनिकों तनिक न घबरा जाना तुम
घर में भी कुछ छुपे भेड़िये इनको सबक सिखाना तुम
माँ को तुम पर गर्व तू ही तो अब अपना अभिमान है
शान तिरंगा है भारत का वीर देश की जान है
वीर सपूतों से भारत की भरी हुई हैं झोलियाँ
अपने ही अपनों से खेलें आज खून की होलियाँ 
                         ~ मनोज कुमार "मंजू"
                             मैनपुरी, उत्तर प्रदेश #manojkumarmanju
#manju
#hindipoems