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#हसरत #मेरी कविता कोई हसरत नही हैसियत रखते हैं,

 #हसरत
#मेरी कविता


कोई हसरत नही हैसियत रखते हैं,
नियती के साथ,साफ नीयत रखते हैं।
पता नही कब,कौन अपना सा मिल जाये।
इसलिए खुशमिजाज तबियत रखते हैं।

रास्ते बहुत हैं मयखाने तक के।
मगर जज़्बात जकड लेते हैं।
इंतज़ार कहीं साकी का और कहीं साथी का,
जो हर बार पकड लेते हैं।

गुनाह नही किये मैंने, सजा मिलेगी जरूर।
इंसान हूं, इंसानियत का क्या कम है ये कुसूर ?

©Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
  #sadak#हसरत