पानी अमूल्य है। मानव हमेशा से इस अमूल्य शब्द का पूर्णतः गलत और विपरीत अर्थ निकालता आया है । उसके अनुसार यदि कोई वस्तु अमूल्य है तो इसका मतलब वह मुफ्त की वस्तु है जिसका वह जैसे चाहे उपभोग करे जितनी मर्जी बर्बाद करे। और यह बात केवल भारतीयों पर लागू नहीं होती है, एशिया सहित समचे विश्व के जनमानस में यही बात घर कर गयी है। चिंता सभी जाहिर करेंगे....बस त्याग किसी से न हो पाएगा, वो बाकी लोग करें। आज के अखबार में प्रकाशित समाचार के कुछ अंश। इनको पढकर यदि कोई मेरे साथ संकल्प लेना चाहे और अपने नित्य जीवन में प्रत्येक क्षण इस संकल्प को चरितार्थ करे तो मैं सदैव ऐसे महानुभावों का आभारी रहूँगा ।🙏🙏🙏 किसी और के बारे में न सही, पर हम अपने बच्चों और उनके आने वाले बच्चों के बारे में तो सोच ही सकते हैं। स्वार्थी तो प्रत्येक जीव होता है, जीवन का असल मज़ा तो त्याग में है। जीवन में इतना सूक्ष्म..... लेकिन बेहद सार्थक त्याग भी न किया ...तो फिर क्या किया 😊😊😊🙏🙏🙏