मेरे नैनों में झांक के तू जब अपने चेहरे को अपने संवरती थी मेरे नजरों से नज़र मिला जब तू अंखियों से वार करती थी बातों में वो नोंक झोंक इश्क में कैसी रोक टोक कैसे झूठे से नियम बना #आगोश में मुझको भरती थी दुनियादारी से मोह नहीं था हमको किसी से द्वेष नहीं था कैसे थम जाता था समय वहीं जब #हमारी_बातें चलती थी कहाँ गए वो दिन पुराने अधरों पर सजे थे जो फ़साने कहाँ गए वो झूठे वादे जो हाथ पकड़ कर करती थी छोड़ गई मझधार में मुझको तन्हाई के किरदार में मुझको वो जो कभी नजरों से मुझको ओझल करने से डरती थी #चौबेजी #चौबेजी #नोजोटो #nojoto #nojotohindi #क़लम