गाँव वालो की सोच कितनी अजीब लगती है परिवार के मान के लिए बंधन भी स्वीकार करती है भला बंधन से मान कैसे मिलेगा यह समझ में हमारी नहीं आया शहर में आए उस छोटी सी दुनिया से जब बाहर निकले माहौल चौकाने वाला था संस्कारो को ही गीरवी रखा हुआ था इनहोने आजादी का गलत प्रयोग किया माँ- बाप को भूल कर भौतिक दुनिया को ही अपना जीवन बनाया कहीं हम न हो जाए ऐसे शायद इसी डर से हमें घर से निकलने ना दिया शायद उनकी गलती की सजा हमें मिलती रही खुद को open minded कहने वाली पढ़ी की वजह से हमें 19 वीं पीढ़ी में रहना पडा़ उनकी वजह हमें क्यूँ नकारा गया संसकारों को कभी नहीं भूलेंगे एक मौका तो देकर देखो शर्मिंदा नहीं होने देंगे ----Shuchita mor #Moon #a light to light the life