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एक बार की बात है कि एक परिवार था वो सब ईमानदार थे।

एक बार की बात है कि एक परिवार था वो सब ईमानदार थे।
उनके घर में गरीबी का बसेरा था और उनका जीवनयापन बड़ी
मुश्किल से होता था कभी कभी तो भूखे पेट सो जाते थे क्योंकि जो तनख्वाह मिलती थी वो तो महीने के अंत से पहिले ही ख़तम हो जाती थी क्यों की कम तनख्वाह मिलती थी अब एक रात की बात थीं की उस दिन रात को उनके घर में चोर घुस आया उसने सोचा कि ये पुलिसवालों का घर है तो यहां बहुत सारा माल मिलेगा क्योंकि पुलिसवाले तो घूसखोर होते हैं और पकड़ में आ भी गया तो दे ले कर रफा दफा हो जायेगा, ये सोच कर उस रात को वो घर में घुसा उसने देखा कि जो उसने सोचा कि मैने सोचा ऐसा कुछ नहीं है तभी उसे आवाज आई कि मां मुझे भूख लग रही है और वो रोने लगा मां ने कहा कि बेटा अब तो रात हो गई है कल तुझे खाना खिला दूंगी और पानी पिला कर सुला देती हैं और भगवान को कहती हैं कि क्या ये ईमानदार होने की सजा है
पर फिर भी हम खुश हैं जो करता है अच्छा करता है ये सुन और देख कर उस चोर का मन पसीजने लगा घबराहट में उससे सामान छूट गया ये आवाज़ सुन कर दोनो पति पत्नी बाहर आ गए देखा तो वो चोर उसके पाव में गिर पड़ा और कहने लगा आज से तू मेरी बहन है ये सामान है वो तू रख ले और बच्चो को खाना खिला और ये जो धन है उनसे उनका पालन पोषण कर पर उस महिला ने मना कर दिया कि अगर हमें बेईमानी का धन कमाना होता तो आज हमारे पास बहुत पैसा होता हमें नहीं चाहिए तब उस पति ने उसका चेहरा देखा तो हक्का बक्का रह गया कि ये वहीं चोर है जिसको पुलिस को तलाश थी और इनाम था तब उस महिला ने कहा कि तुमने मुझे बहन कहा है तो बात मानो ये गलत काम छोड़ दो तब उसने वचन दिया कि में ये गलत काम छोड़ दूंगा तब उसके पति को बोला की मुझे अरेस्ट कर ले चलो और उसे जेल ले गए और उससे पूछा तो उसने बताया कि जब ये परिवार ईमानदारी से भूखे रहकर जीवन बिता सकते है तो में क्यों नहीं इसलिए मैने आत्मसमर्पण किया और कहा इन्हे इनकी ईमानदारी का इनाम मिलना चाहिए जिसने मेरा हृदय परिवर्तन कर दिया

©Chandrawati Murlidhar Sharma ईमानदारी लोगों कहानी# रातकी बात#कहानी
एक बार की बात है कि एक परिवार था वो सब ईमानदार थे।
उनके घर में गरीबी का बसेरा था और उनका जीवनयापन बड़ी
मुश्किल से होता था कभी कभी तो भूखे पेट सो जाते थे क्योंकि जो तनख्वाह मिलती थी वो तो महीने के अंत से पहिले ही ख़तम हो जाती थी क्यों की कम तनख्वाह मिलती थी अब एक रात की बात थीं की उस दिन रात को उनके घर में चोर घुस आया उसने सोचा कि ये पुलिसवालों का घर है तो यहां बहुत सारा माल मिलेगा क्योंकि पुलिसवाले तो घूसखोर होते हैं और पकड़ में आ भी गया तो दे ले कर रफा दफा हो जायेगा, ये सोच कर उस रात को वो घर में घुसा उसने देखा कि जो उसने सोचा कि मैने सोचा ऐसा कुछ नहीं है तभी उसे आवाज आई कि मां मुझे भूख लग रही है और वो रोने लगा मां ने कहा कि बेटा अब तो रात हो गई है कल तुझे खाना खिला दूंगी और पानी पिला कर सुला देती हैं और भगवान को कहती हैं कि क्या ये ईमानदार होने की सजा है
पर फिर भी हम खुश हैं जो करता है अच्छा करता है ये सुन और देख कर उस चोर का मन पसीजने लगा घबराहट में उससे सामान छूट गया ये आवाज़ सुन कर दोनो पति पत्नी बाहर आ गए देखा तो वो चोर उसके पाव में गिर पड़ा और कहने लगा आज से तू मेरी बहन है ये सामान है वो तू रख ले और बच्चो को खाना खिला और ये जो धन है उनसे उनका पालन पोषण कर पर उस महिला ने मना कर दिया कि अगर हमें बेईमानी का धन कमाना होता तो आज हमारे पास बहुत पैसा होता हमें नहीं चाहिए तब उस पति ने उसका चेहरा देखा तो हक्का बक्का रह गया कि ये वहीं चोर है जिसको पुलिस को तलाश थी और इनाम था तब उस महिला ने कहा कि तुमने मुझे बहन कहा है तो बात मानो ये गलत काम छोड़ दो तब उसने वचन दिया कि में ये गलत काम छोड़ दूंगा तब उसके पति को बोला की मुझे अरेस्ट कर ले चलो और उसे जेल ले गए और उससे पूछा तो उसने बताया कि जब ये परिवार ईमानदारी से भूखे रहकर जीवन बिता सकते है तो में क्यों नहीं इसलिए मैने आत्मसमर्पण किया और कहा इन्हे इनकी ईमानदारी का इनाम मिलना चाहिए जिसने मेरा हृदय परिवर्तन कर दिया

©Chandrawati Murlidhar Sharma ईमानदारी लोगों कहानी# रातकी बात#कहानी