मुकम्मल होने पर खुशामदें पूरी कायनात करती है, अपने

मुकम्मल होने पर खुशामदें पूरी कायनात करती है,
अपने वोही जायज़ हैं जो बावज़ूद खामियों के सहारा दें।
मंजिलों पर आचुकी नाव को देख ताली बजाना आम है हुज़ूर,
रिश्ते वोही जायज़ हैं जो डोर बन संमदरों में,डूबती कश्तियों को किनारा दे।।

तो क्यूँ परवाह करें उनकी, जो मिजाज़ मौसम सा बदलते हैं,
और करें क्यूँ ज़िक्र उनका जो वक्त की तरह कभी अपने कभी पराए से लगते हैं।
जिस रेत की फितरत ही है हाथ से फिसलना, क्यूँ मौका उसे दोबारा दें।
रिश्ते वोही जायज़ हैं जनाब जो डोर बन संमदरों में,डूबती कश्तियों को किनारा दें ।। #shaayavita #rishtey #apney #nojoto
मुकम्मल होने पर खुशामदें पूरी कायनात करती है,
अपने वोही जायज़ हैं जो बावज़ूद खामियों के सहारा दें।
मंजिलों पर आचुकी नाव को देख ताली बजाना आम है हुज़ूर,
रिश्ते वोही जायज़ हैं जो डोर बन संमदरों में,डूबती कश्तियों को किनारा दे।।

तो क्यूँ परवाह करें उनकी, जो मिजाज़ मौसम सा बदलते हैं,
और करें क्यूँ ज़िक्र उनका जो वक्त की तरह कभी अपने कभी पराए से लगते हैं।
जिस रेत की फितरत ही है हाथ से फिसलना, क्यूँ मौका उसे दोबारा दें।
रिश्ते वोही जायज़ हैं जनाब जो डोर बन संमदरों में,डूबती कश्तियों को किनारा दें ।। #shaayavita #rishtey #apney #nojoto
rahulkaushik6608

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