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कैसे - कैसे मन्जर सामने आने लगे हैं , मानवता के प

कैसे - कैसे मन्जर सामने आने लगे हैं , 
मानवता के पद - चिन्ह डगमगाने लगे हैं , 
नहीं रही सुरक्षित बहु - बेटियां अपने ही घर में , 
हवसी दरिंदें गिद्ध से मंडराने लगे हैं , 
जाती थी कभी नन्ही जान अपने स्कूल खुशी खुशी , 
अब तो ओ भी डरे सहमे जाने लगे हैं , 
कहते थे समाज के रच्छक जिनको , 
ओ भी भच्छक बन कर पैसे खाने लगे हैं , 
था भरोसा देश के कोर्ट पर पीड़ितों का , 
पर ओ भी हैसियत देख फैसले सुनाने लगे हैं , 
हवा में बिखरी थी मानवता की खुश्बू कभी , 
अब तो हवसी पापियों के गन्ध आने लगे।।PKM.. कैसे-कैसे मंजर सामने आने लगें हैं...
कैसे - कैसे मन्जर सामने आने लगे हैं , 
मानवता के पद - चिन्ह डगमगाने लगे हैं , 
नहीं रही सुरक्षित बहु - बेटियां अपने ही घर में , 
हवसी दरिंदें गिद्ध से मंडराने लगे हैं , 
जाती थी कभी नन्ही जान अपने स्कूल खुशी खुशी , 
अब तो ओ भी डरे सहमे जाने लगे हैं , 
कहते थे समाज के रच्छक जिनको , 
ओ भी भच्छक बन कर पैसे खाने लगे हैं , 
था भरोसा देश के कोर्ट पर पीड़ितों का , 
पर ओ भी हैसियत देख फैसले सुनाने लगे हैं , 
हवा में बिखरी थी मानवता की खुश्बू कभी , 
अब तो हवसी पापियों के गन्ध आने लगे।।PKM.. कैसे-कैसे मंजर सामने आने लगें हैं...