रूठे रूठे से रहते है लफ्ज़ मेरे, जाने क्यो ये न कुछ कह पाते, कितनी मोहब्बत है तुमसे, ये क्यो राजे दिल बयां न कर पाते, मोहब्बत को अपनी खुद में समेट कर, लफ्ज़ क्यो होठों तक न आ पाते, दिल के जज़्बात जो लिखना चाहूँ, लफ्ज़ कागज़ पर भी न उतर पाते। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1003 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।