" जीवन की मृग मरीचिका का बनना जरूरी है; जीवन बने रहने खातिर" -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में...) अंतस की तपिश से स्वयं के अश्रु सूख जाना इस संसार की सबसे बड़ी त्रासदी है । 'अंतर्मन मरुभूमि बन जाता है ' अवरुद्ध हो जाता भाववप्रवाह हम बह नहीं पाते ;