_#कवी'धनूज. थ़म गया दिल-ए-इश्क.. चहल पड़ा नादान-ए- मऩ.. जब छेड़ दिये आपने गीत-ए-लफ्ज.. ठहरी हुई हवाओं में जब जादू बिखेरिए आपकि आवाज सुर-ए-जज्ब.. _लेखक'कवी- (धनंजय संकपाळ) #धनूज | रंग मनाचे. सूर-ए-जज्ब