काजल तेरी कजरारी सी आंखों में मैने देखा है, हाथों में नभ जैसी छायी घनघोर घटा सी रेखा है बालों में खुशबू इत्र भरे मयखाने सा मधुशाला है, इस तापी ज्वर को माप सके उससे बढके ये आला है, कभी लगे मेनका जैसी तू उर्वशी कभी तू सुरेखा है, हाथों में नभ जैसी छायी घनघोर घटा सी रेखा है। काजल तेरी कजरारी सी.......... ❤️🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹 🌹❤️ #Perfect_day This poem is dedicated to name of Kajal ❤️❤️❤️