रहन सहन का ये तरीका मुझको समझ न आता है, एक नारी को आजकल छोटा कपड़ा ही क्यों भाता है। दुनिया बदलती गई हरदम तौर तरीके जीने के, फिर भी जाने क्यों न अब भी ढंग से जीना आता है। रहन सहन का ये तरीका मुझको समझ न आता है, अपनी साँसों के लिए मानव क्यों प्रकृति को छती पहुँचाता है। माना अनिवार्य है समय के साथ-साथ चलना और बहना, मगर समय के साथ चलने से मानवता कौन भूल जाता है। कौन भूल जाता है भला संस्कारों से भरी और सजी थाली को, खाने के बदले क्यों कोई पुरूष किसी की आबरू खा जाता है। ©V.k.Viraz #Twowords #nojoto #nojototeam indira