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प्रथम किरण प्रभात की, नई दिशा निहारती। चलो शिखर वर

प्रथम किरण प्रभात की, नई दिशा निहारती।
चलो शिखर वरण करें, है मंजिलें पुकारती।
धुल गया है आसमां, खिली खिली जमीन है।
है विजय आगाज़ ये, सबको अब यकीन है।

बढ़े चलो रुको नहीं, न अन्त तक थको कभी।
वो प्रेरणा बन चलो, कि याद कर सकें सभी।
मिला है ताज उसको, जिसने शूल सब चुन लिए।
सही मुसीबतें सभी, खुशी के गीत बुन दिए।

अंधकार में भी तुम, दिए की लौ बने रहो।
जलो जलो जलो सदा, ये कष्ट तुम सहे रहो।
कर्म करो ऐसे सब, उतार सकें आरती।
कीर्तिमान तुम बनो, कि गर्व करे भारती।
           ~ मनोज कुमार "मंजू"
              मैनपुरी, उत्तर प्रदेश #manojkumarmanju
#manju
#hindipoems
प्रथम किरण प्रभात की, नई दिशा निहारती।
चलो शिखर वरण करें, है मंजिलें पुकारती।
धुल गया है आसमां, खिली खिली जमीन है।
है विजय आगाज़ ये, सबको अब यकीन है।

बढ़े चलो रुको नहीं, न अन्त तक थको कभी।
वो प्रेरणा बन चलो, कि याद कर सकें सभी।
मिला है ताज उसको, जिसने शूल सब चुन लिए।
सही मुसीबतें सभी, खुशी के गीत बुन दिए।

अंधकार में भी तुम, दिए की लौ बने रहो।
जलो जलो जलो सदा, ये कष्ट तुम सहे रहो।
कर्म करो ऐसे सब, उतार सकें आरती।
कीर्तिमान तुम बनो, कि गर्व करे भारती।
           ~ मनोज कुमार "मंजू"
              मैनपुरी, उत्तर प्रदेश #manojkumarmanju
#manju
#hindipoems