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एक अरसा बीत गया , अरिसे मे खूद को निहारे बहुत कुछ

एक अरसा बीत गया , अरिसे मे खूद  को निहारे
बहुत कुछ  बिखरे ,पर आइने मे ही है संवरे

हर रोज़ आइने मे जो अक्स नज़र आता है 
 संवरा और संभला  सा शक्स न जाने क्यों अनजाना सा लगता है

होठो की मुस्कुराहट को आइना ही हे जाचता 
आंखो की नमी को भी आइना ही है समेटता 

कई अनकही कहानियां आइना सून  है लेता 
हर दिन  हर सुबह आत्मविश्वास भी वही है देता...

अनजाने से अक्स मे भी आइना अपना सा है लगता!!!

©Yogita Harne #aaina  Mera Aks
एक अरसा बीत गया , अरिसे मे खूद  को निहारे
बहुत कुछ  बिखरे ,पर आइने मे ही है संवरे

हर रोज़ आइने मे जो अक्स नज़र आता है 
 संवरा और संभला  सा शक्स न जाने क्यों अनजाना सा लगता है

होठो की मुस्कुराहट को आइना ही हे जाचता 
आंखो की नमी को भी आइना ही है समेटता 

कई अनकही कहानियां आइना सून  है लेता 
हर दिन  हर सुबह आत्मविश्वास भी वही है देता...

अनजाने से अक्स मे भी आइना अपना सा है लगता!!!

©Yogita Harne #aaina  Mera Aks